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इस धरती पर जब से मानव है तब से लेकर अभी तक का अगर पूरा इतिहास लिखा जाए उसकी पुरी किताब लिखी जाए तो उसे किताब के पहले पैन पर यह लिखा होगा की इस धरती पर अपने अस्तित्व को बनाए रखना के लिए मानव को दो चीज दिखाई दी जो उसे सबसे महत्वपूर्ण लगे, पहले रहना और दूसरा खाना इन दो को तरजीह देते हुए इतिहास बढ़ता रहा इसी में अपडेशन होते रहे इन्हीं में सुविधाओं का विस्तार होता रहा सभ्यताएं बनी, संस्कृतिया बनी

पृथ्वी केपर्यावरण का इतिहास 

 20वीं शताब्दी तक आते-आते यही लगा की इस पुरी धरती से इंसानों का अस्तित्व अगर समाप्त हो सकता है तो किसी भीषण युद्ध के मध्य से हो सकता है इसी तरह से पहले विश्व युद्ध हुआ तो इस धरती से इंसान खत्म हो जाएंगे इस धरती में इंसान रहेंगे ही नहीं 20वीं शताब्दी में ही थोड़ी और आगे चलते हैं तब धीरे-धीरे समझ में आया की धरती से इंसान का अस्तित्व एक और तरीके से समाप्त हो सकता है

अगर पर्यावरण ही नष्ट हो जाए विकृत हो जाए  पर्यावरण अगर खराब हुआ पर्यावरण में परिवर्तन हुआ यानी की जलवायु में परिवर्तन हुआ तो इंसानों के अस्तित्व पर भी संकट के बादल छाता रहेंगे और धीरे-धीरे अस्तित्व भी नहीं रहेगा

पर्यांवारण दिवस की कहानी और कब मनई जाती है ?

पर्यावरण के महत्व को समझते हुए उसकी जागरूकता पर ध्यान देने के लिए पर्यावरण दिवस भी मनाया जाता है आज हम बात करेंगे पर्यावरण दिवस की जो की हर साल  5 जून को मनाया जाता है तो इसी पर हम बात करेंगे क्यों मनाया जाता है कितना महत्वपूर्ण है और इससे क्या लाभ हुआ है अभी तक में हम जब से भी बना रहे हैं 

विश्व पर्यावरण दिवस 

विश्व पर्यावरण दिवस 2013में  मनाना शुरू किया गया  1972 में स्टॉक होम सम्मेलन हुआ 1972 में स्टॉक हम सम्मेलन हुआ था और यह अपने आप में पर्यावरण के लिए पहले वैश्विक सम्मेलन था जो  स्टॉक होम में हुआ था स्टॉक में यानी की स्वीडन क्योंकि स्वीडन नहीं इसकी पहला की थी और स्वीडन में ही हुआ था इसीलिए हम कहते हैं की स्टॉक होम जो सम्मेलन है इसके शुरुआत किसने किया था तो हम कहते हैं स्वीडन 

स्वीडन इनिशिएटिव स्वीडन इनिशिएटिव क्या है?

स्टॉकहोम सम्मेलन 1972 जलवायु और पर्यावरण की दिशा में पहले ऐसा सम्मेलन था संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन था  5 जून से 16 जून 1972 को हुआऔर उसकी थीम थी केवल वन अर्थ यानी की एक ही अर्थ है इसके अलावा कोई दूसरी अर्थ नहीं है इसीलिए इसे बचा के रखना हमारी जिम्मेदारी है हमारे अस्तित्व के लिए वह जो अस्तित्व की हम बात करते थे रोजी और रोटी से उसके साथ की स्थिति के लिए जरूरी है इस धरती का होना इस धरती को हम जैसा बनाए रख सकें इस दिशा में आगे बढ़ाना

इस सम्मेलन में 122 देश जो थे आई और उसमें से जो 70 देश थे विकासशील देश और गरीब देश उन्होंने इस स्टॉकहोम घोषणा को अपनाया और ये स्टॉक हम घोषणा किस संबंधित रही होगी पर्यावरण को बेहतर करने की दिशा से संबंधित पर्यावरण से जुड़ा हुआ पहले सम्मेलन पुरी दुनिया में इसके पहले कभी चर्चा हुई थी 1968 में यूनाइटेड नेशन में पहले बार पर्यावरण को लेकर के चर्चा हुई थी जलवायु परिवर्तन पर पहले बार चर्चा हुई थी पर्यावरण प्रदूषण पर पहले बार चर्चा हुई थी और इस पर चिंता व्यक्त की गई थी  1968 मेंenvironment day

  1968 में ऐसा क्यों हुआ था?

क्योंकि 1967 में हुआ यह था की कुछ रिपोर्ट्स कह रही थी मतलब आंकड़ों के आधार पर रिपोर्ट साइन जिससे एक बात पता चली की जितना co2 इस वक्त मौजूद 202250 साल हो गए और इसी सम्मेलन के आधार पर इसी पांच जून को आधार बनाए यूनाइटेड नेशन ने और तय किया की 19 73 से मनाया जाएगा विश्व पर्यावरण दिवस 

स्टॉक होम सम्मेलन के तीन प्रमुख आयाम

एक आयाम तो यह था की जो देश थे वहां पे उन्होंने तय किया की एक दूसरे देश को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे  ऐसा नहीं की हम एकदम हमारे लिए अपने लाभ के लिए हम दूसरे देश में जलवायु का नुकसान कर दे या उसे क्षेत्र को नुकसान पहुंचा दें उसके बाद पृथ्वी के पर्यावरणीय खतरों पर अध्ययन करने के लिए कार्य योजना की भी बात हुई UNEP का भी गठन हुआ 1972 में नैरोबी में इसका मुख्यालय मतलब केन्या में  विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन हर साल करती है जिसमें कोई एक देश होता है

जो उसका आयोजन करता है किसके मध्य से UNEP यूनाइटेड नेशन ENVIRONMENT  प्रोग्राम की स्थापना  1972 में हुई थी इसी के मध्य से और यही शब्द एनवायरनमेंट यानी की विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन करवाता है किसी एक देश के मध्य से

भारत में क्या किया गया 

2021 में जब ग्लासगो में टॉप 26 सम्मेलन हुआ तो वहां पर भारत ने प्रस्तुत किया मिशन लाइफ भारत के प्रधानमंत्री ने मिशन LIFE क्या था लाइफस्टाइल पर ENVIRONMENT जो पृथ्वी मॉडल पर आधारित था अब यह पृथ्वी मॉडल क्या है  प्रो प्लेनेट पीपल  का मतलब है ऐसे लोग जो धरती को बेहतर करने की दिशा में यानी की सस्टेनेबल अपनी लाइफस्टाइल बना सके उसे दिशा में कार्य करें

मतलब उनकी लाइफ स्टाइल ऐसी हो वह इस तरह से जिए की पर्यावरण को प्रदूषण कम हो जैसे की सिंगल प्लास्टिक का इस्तेमाल ना करें ऐसी चीज़ का इस्तेमाल करें जो क्लीन हो ग्रीन हो जैसे सौर ऊर्जा पवन ऊर्जा इसी तरह से अपनी लाइफ स्टाइल को बेहतर करें संसाधनों के इस्तेमाल के कम में भी अपनी लाइफ स्टाइल से जुड़ी हर वह एक्टिविटी जो पर्यावरण को कम प्रदूषण करती हो या ना प्रदूषण करती हो उसे दिशा में जो बढ़ रहे हैं उन्हें प्रोप्लेनेट पीपल कहा गया

इसी बात को ध्यान में रखते हुए यह मिशन लाइव शुरू किया गया जिसमें बात यही कहीं गई की आपकी लोगों की लाइफस्टाइल ऐसी हो जो एनवायरनमेंट के लिए सही हो इसी दिशा में यह बात बताई गई दुनिया में आठ अब लोग हैं और आठ अब में से  अगर आप लोग भी अपनी लाइफ स्टाइल को एनवायरनमेंट को ध्यान में रखते हुए बना लेने तो 20% कार्बन उत्सर्जन जितना अभी हो रहा है उससे कम हो जाएगा यानी की अभी अगर 100% कार्बन तक जाना होता है तो फिर 80 होगा 20 यूनिट कार्बन उत्सर्जन कम हो जाएगा सिर्फ लाइफस्टाइल को बदलने की वजह से वो भी सबको नहीं बदलना है 100 में से 20 लोगों को ही बदलना है  20% लोगों को 20% भी नहीं यानी की आठ अब में से एक लोगों को

अब आगे देखिए यही पे एक बात कहीं गई भारतीय चाहता है की 2022 से 28 के अवधि के दौरान ऐसे बहुत सारे लोग इसमें जुड़े प्रो प्लेनेट पीपल बने जो भारत के गांव और शहर हैं वहां के 80% लोग इस तरह की लाइफस्टाइल को अपने इसकी प्रस्तुति हुई थी 2021 में और 22 में है , शुरुआत इसकी  गुजरात में हुई थी और गुजरात में भी कहां हुई थी   गुजरात का केवड़िया वहां पे हुई थी

2025 की थीम के बारे में

प्लास्टिक प्रदूषण त्रिस्तरीय पारिस्थितिक संकट — जलवायु परिवर्तन, प्रकृति, भूमि और जैव विविधता का नुकसान, तथा प्रदूषण और कचरे के संकट — को और भी अधिक घातक बना देता है। वैश्विक स्तर पर, हर वर्ष अनुमानित 11 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा जलीय पारिस्थितिक तंत्रों में प्रवेश करता है, जबकि माइक्रोप्लास्टिक कृषि उत्पादों में प्लास्टिक के उपयोग, सीवेज और लैंडफिल्स से मिट्टी में जमा हो जाता है।

प्लास्टिक प्रदूषण की वार्षिक सामाजिक और पर्यावरणीय लागत लगभग 300 अरब से 600 अरब अमेरिकी डॉलर के बीच है। इस वर्ष का विश्व पर्यावरण दिवस ऐसे समय पर मनाया जा रहा है जब विभिन्न देश समुद्री पर्यावरण सहित प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए एक वैश्विक संधि की दिशा में प्रगति कर रहे हैं। नवंबर 2024 में, कोरिया गणराज्य ने प्लास्टिक प्रदूषण संधि के निर्माण के लिए वार्ता के पाँचवें सत्र की मेजबानी की थी। इस सत्र का दूसरा भाग 5 से 14 अगस्त 2025 के बीच जेनेवा, स्विट्जरलैंड में आयोजित होगा।

मेजबान देश के बारे में

यह दूसरी बार है जब कोरिया गणराज्य विश्व पर्यावरण दिवस के वैश्विक आयोजन की मेजबानी कर रहा है। पहली बार 1997 में इस दिन की मेजबानी की थी, जिसका विषय था — “पृथ्वी पर जीवन के लिए”। पिछले 28 वर्षों में, इस देश ने जल और वायु गुणवत्ता में सुधार, रासायनों का सुरक्षित प्रबंधन, और पारिस्थितिक तंत्रों की सुरक्षा एवं पुनर्स्थापन में उल्लेखनीय प्रगति की है।

आज, विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व के माध्यम से व्यवसायों को शामिल करने के दशकों के अनुभव के आधार पर, कोरिया गणराज्य प्लास्टिक कचरे से निपटने के प्रयासों में अग्रणी देशों में से एक है।

देश की पूर्ण जीवन-चक्र प्लास्टिक रणनीति प्लास्टिक के जीवन चक्र के हर चरण — उत्पादन और डिज़ाइन से लेकर उपभोग, पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण — को संबोधित करने का लक्ष्य रखती है। यह रणनीति सरकार, व्यवसायों और उपभोक्ताओं को एक साथ लाकर प्लास्टिक के उपयोग और उसके निपटान के तरीकों को फिर से आकार देती है। स्रोत पर ही कचरे को सीमित करके, पुनर्चक्रण प्रयासों को बढ़ावा देकर और परिपत्र अर्थव्यवस्था में परिवर्तन को तेज करके, कोरिया गणराज्य प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने और अधिक टिकाऊ भविष्य बनाने की दिशा में निर्णायक कदम उठा रहा है।

विश्व पर्यावरण दिवस 2025 के लिए कोरिया गणराज्य के जेजु प्रांत को मेजबान स्थान के रूप में चुना गया है।environment day

जागरूकता की आवश्यकता

अब यह बात जानना है इसलिए जरूरी की इस बार जो हम बना रहे हैं विश्व पर्यावरण दिवस इसमें भी मिशन लाइफ के बड़े में काफी जोर शॉट से चर्चा की जा रही है भारत पे इस पर काफी चर्चाएं हो रही हैं तो भारत में पर्यावरण की दिशा में क्या कुछ प्रयास किया है बिल्कुल किया है देखिए जब यह बात समझ में आई की हमें जागरूक होना पड़ेगा हमें इस बात के लिए जागरूक रहना पड़ेगा की हम पर्यावरण को बचा सके उसे खराब ना करें बेहतर करने की दिशा में ही अब हम कार्य करें पहले की हम स्थिति में वापस लोटा सकें पर्यावरण को तो उसके लिए जागरूकता बहुत जरूरी है

यह विश्व पर्यावरण दिवस कम कर रहा है और बिल्कुल कर रहा है क्योंकि जब पहले स्टॉक कौन सा मिलन होता है पहले बार चर्चा होती है फिर उसके बाद तय होता है की 1973 से विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाएगा तो ना सिर्फ सरकारें अपनी तरफ से अपना योगदान दे रही हैं बल्कि लोग भी अपनी तरफ से अपना योगदान दे रहे हैं यानी की सरकार जैसे की बात की जाए तो सौर ऊर्जा की तरफ बढ़ रही है पवन ऊर्जा तैयार कर रही है हाइड्रोजन ऊर्जा की तरफ ढांचा तैयार कर रही है

दूसरी तरफ  बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो अनावश्यक बिजली का इस्तेमाल नहीं करते अनावश्यक गाड़ी का इस्तेमाल नहीं करते वो जागरूकता कहां से आ रही इसी तरह के जब दिवस मनाया जाते हैं उससे जागरूकता भी आई है सब में नहीं आई लेकिन कुछ लोगों में आई है और  इसी बात को ध्यान में रखते हुए देखिए ना सिर्फ सरकार के द्वारा जब हम सहयोग करेंगे निजी स्टार पर भी हम अपनी तरफ से कुछ सहयोग करेंगे तो यह वृद्धि और ज्यादा देखने को मिलेगी जैसे 2021 में कितना 21.7 था जबकि 19 में 21.67  की वृद्धि हुई जो विद्युत क्षमता है उसमें भी जो गैर जीवाश्म ईंधन है उसकी मात्रा बढाई है यह भी अपने निर्धारित लक्ष्य से बहुत पहले प्राप्त कर ले गए

हम इथेनॉल मिला देंगे होता है पेट्रोलियम इधर से जो co2 या कार्बन मोनोऑक्साइड जो उत्सर्जन होता है उससे कम मात्रा में इथेनॉल से उत्सर्जन होता है यानी इथेनॉल को मिलने से कार्बन उत्सर्जन कम होगा दूसरी तरफ जो हम पेट्रोलियम मांगते हैं तो जितना हम लगा रहे थे अब उससे कम पड़ेगा तो हमारी अर्थव्यवस्था के लिए भी बेहतर होगा अभी हमने लक्ष्य रखा था  जो हमने प्राप्त कर लिया बहुत पहले ही प्राप्त कर लिया 5 महीने पहले ही मतलब ये है की जो ईंधन है

उसमें से 90% पेट्रोलियम और 10% इथेनॉल अभी हमारा अगला लक्ष्य क्या है 2025 तक में हमारा लक्ष्य है मतलब ये हुआ की 80% पेट्रोलियम और 20% इथेनॉल इससे जो कार्बन है उसकी मंत्र कम होगी अक्षय ऊर्जा की तरफ हम बढ़ ही रहे हैं अगर हम बात करें पवन ऊर्जा की सौर ऊर्जा की बात करें विश्व में हम फोर्थ नंबर पर हैं इन दोनों के मामले में ही चौथ नंबर पे हैं हमने

अपना ढांचा इतने विकसित कर लिया है इससे हम जो ऊर्जा प्राप्त कर रहे हैं वो हम चौथ नंबर पर प्राप्त कर  रहे हैं पुरी दुनिया में तो इसी तरह से हर क्षेत्र में ग्रीन हाइड्रोजन के लिए भी अभी हम आगे बाढ़ ही रहे हैं तो वो प्राप्त हम करते जा रहे हैं

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