Gaja War

गाजा :मानवता की कब्रगाह या राजनीति का रणक्षेत्र 

गाजा को लेकर दुनोया में दो अलग अलग नजरिये है कुछ लोग इस मानवता की कब्रगाह मानते है तो कुछ इसे राजनीति का रणक्षेत्र यहाँ का संकट एक गहरी त्रासदी है जहाँ विभिन्न पक्षों की पानी अपनी सच्चाईया है लेकिन खामियाजा मौसुम लोगो खासकर बच्चो को भुगतना पड़ता है हाल ही में यूएस ने चेतावनी दी की अगर अगले 48 घंटो में गाजा में पानी ,दवाईया और भोजन नहीं पहुँचाया गया तो 14000 बच्चो की मौत हो सकती है इस खबर ने विश्व को झकझोर दिया है और सवाल उठाये जा रहे है की का यह सच है या राजनितिक दबाव बनाने की रणनीति है 

क्या है सच ?

गाजा एक ऐसी जगह है जहाँ भूख , प्यास और युद्ध का त्रासदी का जाल बुना गया है इजरायल की नाकेबंदी , हमास की भूमिका और मीडिया की अलग अलग रिपोर्टिंग के बिच यह सवाल उठता है की 14000 बच्चो की मौत की चेतवानी कितने सटीक है UN ने अपनी रिपोर्ट में बतय है की वहां की 93% आबादी को खाना पीना नहीं मिलता और 5 लाख से अधिक लोग भूखे है मीडिया में फ़ैल रही अफवाहों ने लोगो को चिंतित किया है 

7 अक्टूबर 2023 से शुरू हुए युद्ध में अब तक करीब 53000 से 61000 लोगो की मौत हो चुकी है जिनमे भरी संख्या में बच्चे और महिलाये शामिल है ऐसे में 48 घंटो में 14000 बच्चो की मौत का दावा विवादस्पद हो गया है WHO और UNICEF की रिपोर्ट के अनुसार गाजा में कुपोषण बढ़ रहा है गाजा की स्वस्थ्य सेवा भी सीमित हो रही है गाजा के स्वस्थ्य मंत्रालय ने 3000 बच्चों की मौत की पुष्टि की है परन्तु 14000 मौते 2 दिन में असंभव लगती है इस विषय पर कई संगठनो ने इसे अतिश्योक्ति और प्रोपगेंडा बताया है 

भूख और कुपोषण के आंकड़े 

इंटिग्रेटेड फ़ूड सिक्योरिटी क्लासिफिकेसन (IPC)की रिपोर्ट में यह बात सामने आई की 14000 बच्चो की मौत की खतरा गंभीर है लेकिन यह आंकड़ा अगले वर्षो (अप्रैल 2025 से मार्च 2026 ) के बिच का है न की 48 घंटे का जो खतरा बताया जा रहा है वह लम्बी अवधी के भुखमरी और कुपोषण से जुदा हुआ है न की तत्काल मौतों से इस कारन शब्दों का गलत उपयोग का भय फैलाया जा रहा है 

युद्ध के कारण गाजा की स्थिती अत्यंत खराब है  365 वर्ग किलोमीटर के इस क्षेत्र में 21 लाख लोग रहते है जिनमे 80% विस्थापित है मुलभुत सुविधाए जैसे बिजली , पानी , अस्पताल , स्कूल पूरी तरह से तबाह हो चुके है प्राथमिक आपूर्ति के लिए प्रतिदिन कम से कम 500 ट्रको की आवश्यकता है परन्तु इजरायल केवल 5 से 10 ट्रको को अनुमति देता है परिणामस्वरुप कुपोषण , भुखमरी और बिमारी का फैलाव बढ़ रहा है जो बच्चो सहित नागरिको के लिए गंभीर खातरा है 

इजरायल के नोक्बंदी के कारण और तर्क 

2 मैच 2025 से इजरायल ने गाजा पर कड़ी नोकबंदी लागु की है जिसमे भोजन , पानी , दवाए और इंधन की आपूर्ति बंद कर दी गयी इजरायल का तर्क है की वे हमास को कमजोर करना चाहते है क्योकि 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने 250 से अधिक इजरायलियो को बंधक बना लिया था इजरायल का मानना है की हमास हथियारो के साथ सहायता सामग्री भी मांगता है जिससे सुरक्षा खतरा बढ़ता है इसलिए नोकबंदी हथिया मुक्ति की रणनीति का हिस्सा है यह नोकबंदी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में व्यापक आलोचना का विषय बनी है और कई देशो ने इसे सामूहिक दंड के रूप में बताया है 

UN और अंतर्राष्ट्रीय दबाव के कारण 18 मई 2025 को इजरायल ने नोकबंदी में थोड़ी ढील दी और हर दिन पांच से दस ट्रक बुनियादी भोजन , दवाईया , पानी आदि गाजा पहुचाने की अनुमति दी हालांकि यह माता 2 % से भी कम जरुरत की पूर्ति है इजरायल का कहना है की हमास के हमलो में कमी आने पर ही निकबंदी और ढीली की जायेगी Gaja War

इजरायल और फिलिस्तीन का विवाद का प्रारंभिक परिचय 

1948 में इजरायल के गठन के साथ ही यह विवाद शुरू हुआ दोनों पक्षों के अलग अलग दावे है इजरायली दावा करते है की यह उनका पारंपरिक घर था जिसे बाद में कब्जा कर लिया जबकि फिलिस्तीन इसकी अपनी जमीं बताते है 1967 के युद्ध के बाद इजरायल ने गाजा और वेस्ट bank पर कब्ज़ा कर लिया 2007 में हमास का उदय हुआ जिसने इजरायल के खिलाफ सक्रिय लड़ाई छेड़ दी यह संघर्ष लगातार बढ़ता गया और आज तक जारी है 

संख्या में इजराइल की तुलना में फिलिस्तीनी मृतकों की संख्या कई गुना अधिक है, जो युद्ध की असमानता को दर्शाता है। इस संघर्ष में मुस्लिम देशों की निंदा होती है जबकि अमेरिका इजराइल का समर्थन करता है। सीमा विवाद, धार्मिक स्थल और जमीन को लेकर विवाद अभी भी जारी है, जो शांति प्रयासों में बाधक बन रहा है।

 युद्ध विराम और शांति प्रयासों की चुनौतियां

हमास ने बंधकों की रिहाई और युद्धविराम के लिए बातचीत की मांग की है, लेकिन भरोसे की कमी के कारण बातचीत सफल नहीं हो रही। क़तर, मिस्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय शक्तियां मध्यस्थता कर रही हैं, पर दोनों पक्ष अपने-अपने शर्तों पर अड़े हुए हैं। शांति की स्थिति काफी जटिल और अस्थिर बनी हुई है।

युद्ध के बीच गाजा के आम लोग भुखमरी, कुपोषण, विस्थापन और स्वास्थ्य संकट से जूझ रहे हैं। लाखों बच्चे गंभीर रूप से प्रभावित हैं। जबकि 14,000 बच्चों की मौत की खबर अतिशयोक्तिपूर्ण लग सकती है, लेकिन गाजा की वास्तविक स्थिति बेहद गंभीर और आपातकालीन है।

मीडिया रिपोर्टिंग और आरोप-प्रत्यारोप

BBC और यूएन जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं पर पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग के आरोप लगते रहे हैं। कई बार मीडिया ने रिपोर्टों में गलतियां की हैं जिसके लिए उन्हें माफी मांगनी पड़ी है। बावजूद इसके ये संस्थाएं गाजा की त्रासदी को विश्व के सामने लाने का प्रयास करती हैं, जिसे दलगत राजनीति और अंतरराष्ट्रीय दबाव की सियासत में उलझा दिया जाता है।

गाजा संकट न केवल एक राजनीतिक या सैन्य मुद्दा है, बल्कि यह मानवता के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। यहां के बच्चे और आम नागरिक भूख, बीमारी और हिंसा के बीच फंसे हुए हैं। यूएन द्वारा जारी 14,000 बच्चों की मौत की चेतावनी भले ही अतिशयोक्तिपूर्ण प्रतीत हो, लेकिन गाजा की परिस्थिति सचमुच चिंताजनक और तत्काल राहत की मांग करती है। इस विवाद में सभी पक्षों के दावे हैं, लेकिन सबसे बड़ी हानि निर्दोष बच्चों और आम जनता की हो रही है। इसलिए युद्ध विराम और मानवीय सहायता को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी आवश्यक है।

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