ISRO C61 EOS-09 Mission
इसरो की 101वी अंतरिक्ष मिशन PSLV C61 EOS-09 के दौरान तीसरे चरण में तकनिकी के वजह से मिशन अधुरा रह गया पहली और दूसरी स्टेज में राकेट लौन्चिंग सफल रही लेकिन तीसरे चरण के राकेट के ठोस मोटर के चैम्बर में गिरावट दिखाई डी जिसके कारन मिशन असफल रहा हालाँकि इसरो के अध्यक्ष इस घटना पर गहरी जाँच करने और जल्द ही विस्तृत रिपोर्ट जारी करने का आश्वासन दिया है|
विशेषज्ञों ने कहा की यह एक मामूली असफलता है क्योकि PSLV रॉकेट विविध उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण में भारत की सफलता की नींव रहा है यह मिशन खासतौर पर भारत के लिए महत्वपूर्ण था क्योकि यह EOS -09 नामक अर्थ OBSERVATION सेटेलाईट को को कक्षा में स्थापित करने वाला था जिससे विविन्न प्रकार की EARTH OBSERVATION का कार्य किया जा सकता था जो चीन और पकिस्तान के लिए रणनीतिक महत्व रखता है|
विशेषज्ञों ने इस असफलता को एक सिख के रूप में लिया और कहा है इसरो जल्द ही इस रॉकेट और उपग्रह प्रणाली की बेहतर बनायेगा तथा नयी सिरे से लौचिंग करेगा इस पुरे परिप्रेक्ष्य में वैज्ञानिक समुदाय और जनता दोनों ने इसरो के प्रयासों को सराहा है और इस विफलता के बावजूद भविष्य में सफलता की उम्मीद बनाये राखी
तीसरे चरण का तकनिकी दोष –
यह लौचिंग तीसरे चरण में ठोस मोटर का चैम्बर प्रेशर गिराने से रॉकेट अपना संतुलन खो दिया जिससे मना जा रहा है की यह तकनिकी दोष है जो मिशन पूरा न होने का प्रमुख कारन बना ठोस प्रोपल्शन सिस्टम में ऐसी समस्या से इंजन बंद हो सकता है या पर्याप्त धक्का मिल पाता इसलिए इसरो अपने अगले कदम में इस चरण के हर घटक की निरिक्षण करेगा
EOS -09 का महत्व-
यह सेटेलाईट भारत की सीमा सुरक्षा और क्षेत्रीय निगरानी के लिए अहम था भारत के पास 5 ऐसे रडार उपग्रह है और यह दूसरा था जो सक्रिय होता चीन के पास 14-15 ऐसे उपग्रह है इसलिए भारत को भी इस क्षेत्र में क्षमता बढाने की जरुरत है इस विफलता से भारत को इस क्षेत्र में चुनौती का सामना करना पड सकता है लेकिन पुनः प्रयास किया जायेगा
PSLV रॉकेट की विफलता और आवश्यक सुधार –
हालाँकि यह रॉकेट अभी 61 लॉन्चिंग में यह छठी असफलता है जो 6-7 %की विफलता दर दर्शाती है जबकि Space X जैसी कंपनियो की विफलता दर मात्र 0.2 %है यह दर्शाता है कि भारत को भी रॉकेट प्रौधौगिकी में सुधार और नवीनतम तकनिकी अपनाने की आवश्यकता है ताकि विफलता दर को कम किया जा सके
वैज्ञानिको और तकनीशियनों का सम्मान और काम करने की संस्कृति –
इसरो की संस्कृति में असफलता की स्थिती में संगठन के प्रमुख सीधे सामने आकर स्थिति की जिम्मेवारी लेते है जबकि सफलता की स्थिति में उन सभी वैज्ञानिकों और निर्देशकों को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने मिशन अपर काम किया है यह एक परिपक्कव और स्वस्थ्य कार्य संस्कृति को दर्शाता है जो विज्ञानिको के मनोबल को बनाए रखता है|
भारत की अन्तरिक्ष क्षेत्र में निरंतर उन्नति –
इसरो ने 1990 के दशक से PSLV रॉकेट को लगातार विकसित किया और सफलतापूर्वक उपग्रह प्रक्षेपित किया है यह भारत की अन्तरिक्ष शोध के लिए मिल का पत्थर है हालाँकि यह एक SETBACK है लेकिन देश की अन्तरिक्ष क्षमता और प्रतिभा से उम्मीदे ऊँची है को जल्द ही नयी सफलताये आएँगी
असफलताओं से सीखन और आगे बढ़ना –
हालाँकि सफलता और असफलता तो लगी रहती है लेकिन इसरो के सफलता में कुछ असफलताए आई है जैसे चाद्रयान -2 का अंतिम चरण परन्तु इन असफलताओं के बाद अगले मिशन चंद्रयान -3 में सफलताये मिली वर्तमान असफलता भी एक अवसर है जिससे भविष्य में बेहतर तकनीक और रणनीति विकसित की जायेगी
असफलता के बावजूद भारत के वैज्ञानिक पूरी तत्परता से आगे बढ़ने की योजना बन रहे है अन्तरिक्ष अनुशंधान में असफलताए सामान्य है लेकिन उन्हें तुरंत सुधारने और बेहतर बनाने की प्रक्रिया जारी रहती है भारत की अन्तरिक्ष एजेंसी ने वर्षो में अपने कार्यशैली और तकनिकी निपुणता से विश्व मंच पर एक सकारात्मक पहचान बनायी है जो भविष्य में और बढ़ेगी
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