Pakistan Nuclear Radiation
हाल ही में यह अफवाह फैलाई जा रही थी पाकिस्तान में परमाणु रेडिएशन भारत के operation sindoor की वजह से हुयी है लेकिन क्या है वास्तविकता इसके बारे में हम आज बात करेगे
मुख्य बिंदु
- भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान किराणा हिल्स विवादित हमले की खबरे और रेडिएशन लिक की जुडी अफवाहे
- सोशल मीडिया पर वायरल हुए रेडिएशन लिक दस्तावेजो में में तकनिकी और तथ्यगत गलतिया
- रेडिएशन लिक के गंभीर प्रभावों के कोई ठोस साबुत उपलब्ध नहीं
- कोई भी एजेंसी लिक की पुष्टि की
- युद्ध के समय अफवाहे आम होती है इसलिए इन सब चीजों से बचे और सही माध्यम से जुड़े
दरअसल सोशल मीडिया पर चर्चा और अफवाहे तेज हो गयी थी की भारत ने पाकिस्तान के परमाणु ठिकानो , विशेषकर किराणा हिल्स के गुप्त सुरंगों पर हमला कर रेडिएशन फैलाया है |
जिससे पाकिस्तान के लोग बीमार पड़ रहे है साथ ही एक ऐसी खबर आई की अमेरिका के विमान पाकिस्तान में रेडिएशन की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पहुंचे है लेकिन इसकी गहन जांच की गयी है और यह बताया गया है की न तो भारत , न पाकिस्तान , और न ही अमेरिका या कोई अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्था ने इस रेडिएशन लिक की स्वीकारा या पुष्टि की है
वायरल हुए दस्तावेजो में भी कई त्रुटिया है जो इसे नकली साबित करती है रेडिएशन लिक होने पर जो गंभीर स्वास्थय प्रभाव होते है उनके कोई ठोस साबुत नहीं मिले है और न ही किसी सरकारी या मीडिया संगठन ने इस मुद्दे पर करवाई की है अमेरिका का विमान का वहां रहना पाकिस्तान के परमाणु हथियारों अपर निगरानी का हिस्सा हो सकता है न की रेडिएशन कण्ट्रोल का |
जो कही न कही यह रेडिएशन लिक की खबरे एक अफवाह है और आप सब लोगो को इस अफवाह से बच के ही रहना चाहिए और इस पुरे मामलों में सूचनाओं को समझदारी से लेना और विश्वसनीय स्त्रोतों से जानकारी लेना शायद बेहतर हो सकता है |
पाकिस्तान के हथियारों की गोपनीयता – किराना हिल्स जिसे पाकिस्तान का “एरिया 51” भी कहा जाता एक अत्यंत संवेदनशील परमाणु हथियारों क केंद्र है ऐसे केंद्र पर हमला की खबर सुरक्षा तंत्र को प्रभावित कर सकती है इसलिए पुरे इलाके की जानकारी हमेशा वर्गीकृत होती है भारत की ओर से हमले की अधिकारित प्रतिक्रिया न देना ऐसी संवेदनाओ का परिणाम हो सकता है|
फर्जी दस्तावेजो के मुख्य भूमिका – सोशल मीडिया पर वायरल हुए दावों के आधार में आये दस्तावेजो जिसमे अंग्रेजी की गलतिया , गलत तारीखे और फर्जी एजेंसी के नाम यह दर्शाता है की अफवाहे जानबूझकर भी लोगो को गुमराह करने के लिए फैलाई जा सकती इससे पता चलता है की सूचना की सटीकता और पुष्टि कितनी महत्वपूर्ण है|
रेडिएशन लिक हुआ की नहीं – अगर वास्तव में लिक हुआ होता तो प्रभावित क्षेत्र में तेज और ब्यापक बिमारिय , मौते और पर्यावरणीय क्षतिया होती जैसा की चेर्नोबिल या फुकुशीमा में देखने को मिला क्योकि किसी भी बड़े रेडिएशन में यह प्रकृति है और अगर पाकिस्तान में ऐसा हुआ होता तो सुचना काफी तेजी से विश्व स्तर पर फैलाती यह न होना इस बात का तस्दीक देता है की रेडिएशन लिक नही हुआ है|
प्रमुख संस्थाए क्या कहती है – IAEA और WHO जैसी संस्थाए परमाणु घटनाओं पर तत्काल प्रतिक्रिया देती है पर पाकिस्तान में इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार की रिपोर्ट या आपातकालीन गतिविधिया नहीं हुयी जो रेडिएशन लिक की अफवाह की अनिश्चितता को दर्शाता है
अमेरिका के विमानों की भूमिका – अमेरिका के विमान पाकिस्तान के परमाणु ढांचा पर निगरानी के लिए लम्बे समय से सक्रिय है जो सुरक्षा कारणों से आवश्यक है इसका रेडिएशन नियंतत्रण से लेना देना नहीं है यह सैन्य और रणनीति गुप्त निगरानी का हिस्सा माना जाता है जो आतंकवादी खतरे को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है|
युद्धकालीन अफवाहों का सामाजिक प्रभाव – युद्ध या तनाव में स्थितियो में गलत सूचना के जरिये मनोवैज्ञानिक दबाव और डर फैलाना एक समान्य रणनीति है यह सामाजिक और राजनितिक स्थिरता को प्रभावित कर सकता है इसलिए सटीक और तथ्यात्मक जानकारी का प्रसार जरुरी है |
अतः मै दर्शको से यही निवेदन करता हु आप सभी लोग सोशल मीडिया पर फैलाये जा रहे अफवाहों से बचे और सही स्रोत का सहारा लीजिये
यह भ पढ़े –
cyclone shakti का कहर 23 से 28 मई के बिच मचाएगी कहर सारे देश परेशान read right now
Operation Keller के द्वारा j & k में लश्कर ए तैयबा के 3 आतंकी को सेना ने मार गिराया read right now