Waqf Amendement Bill
वक्फ संशोधन विधेयक – क्यों है चर्चा में?
वक्फ संशोधन विधेयक 4 अप्रैल 2025 को राज्यसभा में 12 घंटे की लंबी बहस के बाद पारित हो गया। इससे एक दिन पहले लोकसभा में देर रात 1 बजे के बाद यह विधेयक पारित किया गया था। निचले सदन में भी इस पर विस्तार से चर्चा हुई। इन दोनों मंजूरियों के बाद अब वक्फ नई क़ानून व्यवस्था के तहत चलेगा। इसका नाम लंबा है, इसलिए शॉर्ट फ़ॉर्म में इसे ‘उम्मीद’ कहा जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर इसे एक ऐतिहासिक क्षण बताया। यह मोदी सरकार के लिए एक और मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है — अनुच्छेद 370, CAA, राम मंदिर की लिस्ट में अब वक्फ संशोधन भी जुड़ गया है।
लेकिन अब सवाल उठते हैं — इस बिल से क्या बदलेगा? किसको उम्मीद मिलेगी और किसको नुक़सान? इसके पीछे एजेंडा क्या है? तुष्टिकरण या ध्यान भटकाना?
बहसें जारी हैं और मामला बेहद जटिल है। हम कुछ अहम सवालों पर ध्यान देंगे:
वक्फ की संकल्पना क्या है? थ्योरी और प्रैक्टिस में फर्क क्या है?
इस्लामी क़ानून में वक्फ एक चैरिटेबल ट्रस्ट जैसा होता है। कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति धार्मिक या परोपकारी उद्देश्य से वक्फ कर सकता है। वक्फ करने के बाद व्यक्ति की उस संपत्ति पर कोई मालिकी नहीं रहती — वह अल्लाह की संपत्ति मानी जाती है।
इसके बाद एक मुतवल्ली (प्रबंधक) संपत्ति की देखभाल करता है लेकिन वह उसे न बेच सकता है, न उद्देश्य बदल सकता है। यह थ्योरी है।
सरकार ने संशोधन क्यों ज़रूरी समझा?
सरकार का कहना है कि वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए यह बिल ज़रूरी है। इतने बड़े स्तर पर संपत्ति होने के बावजूद आमदनी बहुत कम है। साल 2006 में आई सच्चर समिति ने भी कहा था कि अगर वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग होता, तो उस समय ही 12,000 करोड़ रुपये सालाना की कमाई होती। आज वह आंकड़ा और बड़ा होता
विरोध करने वालों के तर्क क्या हैं?
– धारा 40 को लेकर विवाद: इससे वक्फ बोर्ड को ज़मीन पर मालिकाना दावा करने की खुली छूट मिलती है, बिना प्रामाणिकता के
– गैर-मुस्लिम सदस्यों की वक्फ बोर्ड में नियुक्ति पर सवाल
– ट्राइब्यूनल सिस्टम की निष्पक्षता पर शंका
– सीमाएं तय करने वाले कानूनों (Limitation Laws) को हटा देना
– विरासत और उत्तराधिकार से जुड़े अधिकारों पर असर
इन सभी मुद्दों पर संसद में जमकर बहस हुई। सवाल है कि क्या अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में जाएगा? क्या ये बिल सुधार लाएगा या राजनीति और ध्रुवीकरण को बढ़ाएगा?

वक्फ के बारे में:
भारत में वक्फ संपत्तियों का इतिहास बहुत पुराना है।
1913 – मुस्लिम वक्फ वैलिडेटिंग एक्ट
1923 – मुसलमान वक्फ एक्ट
1954 – सेंट्रल वक्फ एक्ट
1995 – वक्फ एक्ट लागू
2013 – कुछ संशोधन लाए गए
आज भारत में 32 राज्य वक्फ बोर्ड हैं। वक्फ काउंसिल राष्ट्रीय स्तर पर काम करती है। वक्फ संपत्ति कुल मिलाकर 9.4 लाख एकड़ है — जो कि रेलवे और डिफेंस के बाद देश में तीसरी सबसे बड़ी संपत्ति है। ये ज़मीनें मस्जिदों, दरगाहों, दुकानों और कृषि कार्यों के लिए दी गई होती हैं।
मुद्दा क्या है?
थ्योरी में तो इन ज़मीनों की आय शिक्षा, धर्म और कल्याण में जानी चाहिए — लेकिन हकीकत में वक्फ बोर्ड पर भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के आरोप हैं। कई बार वक्फ की ज़मीनें गलत तरीके से बेच दी जाती हैं। आरोप हैं कि वक्फ बोर्ड दूसरे लोगों की ज़मीन पर भी दावा करने लगता है।
राय में टकराव:
बीजेपी सरकार का नया बिल इन समस्याओं का समाधान होगा या समाज में नई दरार डालेगा — यही बहस का विषय है। विपक्ष ने इसे लोकसभा और राज्यसभा दोनों में लेकर सवाल उठाए लेकिन बीजेपी के पास बहुमत था।
लोकसभा में – 288 सांसदों ने बिल के पक्ष में वोट डाला, 232 ने विरोध किया
राज्यसभा में – 128 पक्ष में, 95 विपक्ष में वोट पड़े
NDA की सहयोगी पार्टियां जैसे TDP और JDU ने भी समर्थन किया। YSRCP और BJD ने अपने सांसदों को स्वतंत्र वोट का अधिकार दिया , कानूनी रूप से अब यह बिल पारित हो चुका है।
Repo Rate क्यों rbi रेपो रेट में किया कटौती जाने पूरी खबर 2025 read right now